लेखनी प्रतियोगिता -14-Apr-2023 कभी न मानो हार
शीर्षक- कभी ना मानो हार
एक कौवा प्यासा था
इधर इधर भटक रहा,
पानी कहीं न मिला।
आकाश में भरी उड़ान,
देखा सारा जहान,
देखा उसने एक मैदान।
मैदान के पास जा बैठा,
वहां पर देखा मटका,
मटके में पानी थोड़ा।
खूब किया प्रयास,
पानी न आए हाथ,
कैसे बुझाऊं मेरी प्यास।
सोच- सोच के जी घबराया,
फिर मन में एक उपाय आया,
कंकड़ देखकर सोचा भाया।
एक-एक कंकर चौच से उठाया,
कंकर को पानी में गिराया,
पानी फिर से ऊपर आया।
कौवे का मन हर्षाया,
अपनी प्यास बुझाया,
जग को एक संदेश दे गया।
कभी न मानो हार,
सदा करो तुम प्रयास,
बनेगा जीवन का सार।
लेखिका
प्रियंका भूतड़ा
Abhinav ji
15-Apr-2023 08:49 AM
Very nice
Reply
Shashank मणि Yadava 'सनम'
15-Apr-2023 07:17 AM
बेहतरीन सृजन,, खूबसूरत सन्देश
Reply
अदिति झा
15-Apr-2023 01:01 AM
Nice 👍🏼
Reply